तीर्थंकर देव का जन्मकल्याणक क्यों कहलाता है : दीक्षिता बोथरा 

तीर्थंकर देव का जन्मकल्याणक क्यों कहलाता है : दीक्षिता बोथरा 


महावार स्वामी का जीवन परिचय  ।।तीर्थंकर की आत्मा संसार मे परम विशिष्ट लोकोत्म आत्मा होती है। उनका जन्म केवल स्वयं के कल्याण हेतु नही किंतु सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का कारण होता है। इस लिए तीर्थंकर देव का जन्म "जन्म कल्याणक"  कहलाता है। जैन धर्म के महान तीर्थकर महावीर स्वामी 599 ईसा पूर्व में वैशाली गणतंत्र के क्षत्रियकुंड नगर में इक्ष्वाकु वंश के राजा  सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहां चैत्र महीने की त्रयोदशी के दिन एक साधारण बालक के रुप में जन्में थे।


 


 


 



 


 


 


 


भगवान महावीर का आदर्श वाक्य - मित्ती में सव्व भूएसु। ' सब प्राणियों से मेरी मैत्री है।' 


महावीर स्वामी जी के अनमोल कथन -महावीर स्वामी जी ने अपने शिक्षाओं और उपदेशों के माध्यम से लोगों को अपने जीवन में सफलता हासिल करने का मंत्र बताया है। महावीर स्वामी जी के कुछ प्रेरणादायक एवं अनमोल कथन इस प्रकार है-
मनुष्य को ”जिओ और जीने दो के संदेश” पर कायम रहना चाहिए, किसी को भी दुख नहीं पहुंचाना चाहिए, सभी का जीवन उनके लिए अनमोल होता है। – महावीर स्वामी“खुद पर जीत हासिल करना लाखों शत्रुओं पर जीत हासिल करने से बेहतर है।“- महावीर स्वामी“सभी के प्रति दया रखो, नफरत एवं घृणा करने से सर्वनाश होता है।“- भगवान महावीर स्वामी“आत्मा अजर-अमर है जो कि अकेली ही आती है एवं अकेले ही जाती है उसका न कोई साथ देता है और न ही कोई दोस्त बनता है। क्रोध हमेशा ही अधिक क्रोध को जन्म देता है, जबकि क्षमा एवं प्रेम हमेशा अधिक क्षमा और प्रेम को जन्म देते हैं।“हमारा जीवन धन्य हो जाए यदि हम भगवान महावीर के इस छोटे से उपदेश का ही सच्चे मन से पालन करने लगें कि संसार के सभी छोटे-बड़े जीव हमारी ही तरह हैं, हमारी आत्मा का ही स्वरूप हैं।



दीक्षिता बोथरा 
 गंगाशहर