मानव जीवन पावन कर दो, सत्य , अहिंसा मन में भर दो : मनीषा सुराणा

मानव जीवन पावन कर दो, सत्य , अहिंसा मन में भर दो : मनीषा सुराणा


 

 

सदियां बीत गयी फिर भी जिसका नाम जीवित है,

 

जिसके दिखाये आलोक से आज भी धरा आलोकित है।

 

उस ज्योतिपूंज महावीर को हमारा शत शत है नमन,

 

जिस प्रभु के प्रति हमारा मन श्रद्धा से सुवासित है।

 

 

दिन के प्रकाश में प्रज्ज्वलित दीपक को देखकर एक दार्शनिक से रहा नहीं गया। उसने दीपक से कहा," दीपक दिन के उजाले में प्रकाशित होने का कोई महत्व नहीं। महत्ता तो तुम्हारी तब है जब तुम रात्री के अंधकार में रोशनी फैलाओ।

भगवान महावीर जब इस धरा पर अवतरित हुए तब अनेक सामाजिक कुरीतियों के अंधकार का साया मानव जाति पर था । भगवान ने सर्वज्ञ होते ही तात्कालिक कुरीतियों पर प्रबल प्रहार किया। भगवान ने जातिवाद का विरोध किया। चण्डाल जाति में जन्म लेने वाले हरिकेश मुनि ने भगवान के पास संयम ग्रहण किया। उनका स्पष्ट उद् घोष था , मनुष्य जन्म से ऊंचा नीचा नहीं होता ,केवल कर्म ही व्यक्ति के ऊंचे या नीच होने के मापदंड है। यज्ञ के नाम पर होने वाली पशुबलि के विरुद्ध भी भगवान ने आवाज उठाई। उन्होंने स्पष्ट कहा-" हिंसा पाप है । उससे धर्म करने की बात खून से सने वस्त्र को खून से ही साफ करने के समान है। भगवान महावीर ने नारी शक्ति को पुरुषों के समान ही आत्म विकास के सारे अवसर प्रदान किये। चंदनबाला जैसी राजकन्या को तार कर उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि आत्मविकास का जहां तक प्रश्न है स्त्री पुरुषों के समकक्ष है।  इसके साथ ही भगवान की एक महान देन है अपरिग्रह का सिद्धांत। अर्थ का संग्रह ही अनर्थ का मूल है। संग्रह समस्या पैदा करता है। वर्तमान में अगर भगवान के सिर्फ इस अपरिग्रह के सिद्धांत को व्यक्ति अपना लें तो कई समस्याओं का समाधान स्वत: ही हो जाएगा‌ 

 

 

 

 

 


 

 

 

 

 

इसके साथ ही अनेकांत, अहिंसा आदि अनेक उपदेश मानवजाति को भगवान की देन है । वर्तमान में आज फिर मानवजाति, यह देश,यह विश्व इन्ही समस्याओं के अंधकार में घिर गया है । आज यह आवश्यकता महसूस हो रही है कि फिर महावीर का पुनर्जन्म हो और ये हो भी सकता है।मगर आवश्यकता है कि हम उनके आदर्शों को, उनके सिद्धांतों को,उनके उपदेशों को अपने व्यवहारिक जीवन में उतारने का प्रयास करें। अगर हम ऐसा करने में सफल होते हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि भगवान का पुनर्जन्म हो रहा है। यही मंगलभावना कि-

 

*मानव जीवन पावन कर दो

 

सत्य , अहिंसा मन में भर दो।

 

कर दो जीवन का कल्याण,

 

जय जय महावीर भगवान*।

 

 

मनीषा सुराणा

सिलीगुड़ी